योगी ने मथ डाला वेस्टर्न यूपी
केके वर्मा, लखनऊ
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटें दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी तय करती हैं। नरेंद्र मोदी को दोबारा यूपी ने दिल्ली के तख्त पर बैठाया है और अब हैट्रिक के मूड में है। भाजपाई तो चुनाव से पहले ही मुतमईन हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी तो सभी 80 सीटों को एनडीए के पाले में आने का दावा कर रहे हैं। दावे हैं, किये ही जाते हैं सियासत में, जजमेंट तो मतदाता सुनाते हैं। वे जो करेंगे, वो चार जून को सामने आयेगा।
फ़िलहाल सत्ता संग्राम के दो प्रवेश द्वारों को भेदने के लिए भाजपा ने ताकत लगा दी है।मोदी, शाह और योगी की तिकड़ी अनवरत दौरे व मीटिंग कर रही हैं। भाजपा की कोशिश इस बार 2014 का इतिहास दोहराने की है, पिछली बार की हारी हुई सीटों की भरपाई भी करनी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम की कमान संभाल ली है। पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीन जनसभा करेंगे। मेरठ की सभा हो चुकी है। 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री सहारनपुर में आएंगे और उसके बाद एक सभा मुरादाबाद मंडल में होगी। गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से चुनाव घोषणा से पहले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लगातार समीक्षा शुरू हो गई थी। पिछले चुनाव में सात सीटें भाजपा हारी थी। मंत्रियों को रणनीति बनाने और तैयारी करने में लगाया गया था। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर मंथन किया। मुजफ्फरनगर में जोर 2014 के परिणामों को दोहराने पर रहा। शाह 2014 में लोकसभा चुनाव के प्रभारी थे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटें भाजपा की झोली में आई थीं। जाट और किसान लैंड मुजफ्फरनगर को साधने के बाद गृहमंत्री ने मुरादाबाद में पहले और दूसरे चरण के पश्चिम क्षेत्र के 13 लोकसभा क्षेत्रों पर मंथन किया। 17 लोकसभा सीटों की कोर कमेटियों के साथ लंबे विचार- विमर्श में सारा जोर बूथों पर मजबूत तैयारी पर था।
2019 में भी मेरठ में ही अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते 14 लोकसभा क्षेत्र को लेकर होटल ब्रेवुरा में चुनाव रणनीति बनाई थी। इस बार तीसरी बार अमित शाह ने मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र की रैली से शुरुआत कर मुरादाबाद में बैठक की। गृह मंत्री अमित शाह ने रणनीति पर चर्चा करने के साथ समीकरणों को समझा और समझाया। मतदाता, जातिगत आंकड़े, बूथ संख्या भी जानी। मजबूत और कमजोर बूथ को लेकर रणनीति बनाई।
भाजपा का बूथ मैनेजमेंट पर अधिक जोर है। पन्ना कमेटियों को मजबूत किया। चुनावी गणित के मुताबिक हर बूथ पर 370 वोट अधिक पड़ जाते हैं तो परिणाम का परिदृश्य बदल जाएगा। हर सीट पर करीब दो हजार बूथ हैं। धारा 370 हटाने की तर्ज पर यह बूथ फार्मूला निकाला गया है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रबुद्ध सम्मेलन के माध्यम से पहले और दूसरे चरण की सभी सीटों को मथ लिया है। एक दिन में उनके दो से तीन प्रबुद्ध सम्मेलन हुए।
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री तीनों ने ही पश्चिम से आक्रामक प्रचार शुरू कर दिया है। भाजपा की तुलना में विपक्ष प्रचार में पीछे है। बसपा प्रमुख मायावती के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे 6 अप्रैल से करेंगी। सपा में टिकट की उलझन चल रही है। पांच में चार सीटों पर उसको प्रत्याशी बदलने पड़े हैं। प्रचार तो शुरू भी नहीं है। पश्चिम क्षेत्र में 2014 में भाजपा को 14 सीटें मिली थी तो बसपा, सपा और कांग्रेस ज़ीरो पर आउट हो गईं थीं। वहीं 2019 में
भाजपा को 07, बसपा को 04 और सपा को 03 सीटें मिली थी।हाँ एक बात और, उपचुनाव में रामपुर में भाजपा ने जीत दर्ज कर दी थी।