अजीत दुबे, नई दिल्ली
‘संसद जाने वाले राही कहना इंदिरा गांधी से
बच न सकेगी दिल्ली भी अब जयप्रकाश की आंधी से।’
-नीरज
मेरा गाँव हरिहरपुर (बलिया) लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मस्थल सिताब दियरा के करीब है… नतीजतन अपने बचपन के दिनों में जयप्रकाश नारायण के व्यक्तित्व से हम परिचित थे। घर-परिवार के बड़े-बुजुर्ग जेपी की चर्चा करते और हम भी उन चर्चाओं में श्रोता बनकर बैठ जाते। आज जयप्रकाश नारायण जी की जयंती है, ऐसे में उनसे जुड़ी पुरानी स्मृतियों की याद फिर ताजा हो गई है।
मुझे आज भी याद है वह दिन जब दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी की ऐतिहासिक सभा हुई थी। इस सभा में शामिल होने के लिए मैं और मेरे पिता जी अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर रामलीला मैदान पहुँचे। अत्याधिक भीड़ थी नतीजतन हमें मोटर साइकल को आगे ले जाने से रोक दिया गया। हम पैदल ही लम्बी दूरी तय कर सभास्थल पर पहुँचे। जेपी एक लम्बे अर्से बाद दिल्ली आए थे। उनको मंच पर देखकर लोगों की आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े। मेरे लिए उस सभा में मौजूद रहना एक बेहद खास अनुभव था।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है, जेपी की इस सभा में लोग न पहुँचे इसलिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसी दिन बॉबी फिल्म का प्रसारण दूरदर्शन पर किया। बॉबी उस दौर की बेहद चर्चित फिल्म थी।
जेपी से जुड़ी दूसरी घटना का जिक्र भी यहाँ बेहद जरूरी है। दिल्ली एयरपोर्ट पर मैं एक कनिष्ठ अधिकारी के रूप में पदस्थापित था। मुबंई के जसलोक अस्पताल से जेपी को दिल्ली ले कर आया गया था। देश में हुए आम चुनाव का परिणाम आ गया था। जनता पार्टी को भारी बहुमत मिला था। जेपी की अगवानी में सैकड़ों नवनिर्वाचित सांसद एयरपोर्ट के सेरिमोनियल लाउंज में एकत्र हुए थे। अत्याधिक भीड़ होने की वजह से हॉल में अव्यवस्था फैल गई। इस अव्यवस्था को देखते हुए चंद्रशेखर जी ने कड़ी आवाज में सभी सांसदों को व्यवस्थित रहने का आदेश दिया। कुछ ही पलों के अंदर हॉल में व्यवस्था नजर आने लगी।
वहीं चंद्रेशेखर जी ने जेपी से मेरा परिचय कराया और भोजपुरी में ही कहा- ‘इ अजित दूबे बाड़े आ अपने जिला के हवन।’ चंद्रशेखर जी की यह बात सुनकर जेपी मुस्कुरा कर रह गए।
जयप्रकाश नारायण जी के प्रति मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि और इस महान विभूति को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
जय जयप्रकाश

(लेखक भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत अधिकारी हैं)