हिन्दी भाषा में लिखी गई पहली पुस्तक को मिला यह अवार्ड, भारत-पाक विभाजन के दौरान 80 वर्षीय एक विधवा पर केंद्रित है उपन्यास
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
देश की प्रसिद्ध लेखिका गीतांजली श्री को हिन्दी उपन्यास “टम्ब ऑफ सैंड” के लिए अंतरराष्ट्रीय अवार्ड बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हिन्दी में लिखी गई यह पहली उपन्यास है, जिसे बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है। गीतांजली श्री मूलत: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद की रहने वाली हैं। गीतांजली श्री की इस उपान्यास को दुनिया की उन 13 श्रेष्ठ पुस्तकों की सूची में शामिल किया गया था, जिनका नामांकन बुकर अवार्ड के लिए किया गया था।
यह प्रतिष्ठित अवार्ड मिलने पर गीतांजली श्री ने कहा है,
“मैंने बुकर का सपना कभी नहीं देखा था। मैं चकित हूं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं।”
तीन उपन्यास लिख चुकी हैं गीतांजलि:
गीतांजलि श्री अब तक तीन उपन्यास और कथा संग्रह लिख चुकी हैं। उनके उपन्यासों का विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है।
रेत की समाधि के लिए दो लोगों को मिला पुरस्कार:
गीतांजलि श्री के इस उपन्यास को अमेरिकन ट्रांसलेटर डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में ‘टूंब ऑफ सैंड’ के नाम से अनुवाद किया है। लगभग 50 लाख रुपए की पुरस्कार राशि लेखिका और अनुवादक में बराबर-बराबर बांटा जाएगा।
80 वर्षीय विधवा पर केंद्रित है उपन्यास:
यह उपन्यास भारत-पाक विभाजन के दौरान एक 80 वर्षीय विधवा पर केंद्रित है। विभाजन के दौरान यह महिला अपने पति को खो देती है, जिसकी वजह से वह अवसाद में चली जाती है।
गीतांजलि श्री के पिता एक सिविल सेवा में थे। उनकी परवरिश उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुई। उन्होंने बाद में दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज लेडी श्रीराम से ग्रेजुएशन किया और जेएनयू से एमए किया।