नए कृषि कानूनों को लेकर 6 महीने से आवाज उठा रहा है एआईकेएससीसी AIKSCC
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कृषि कानूनों के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi के संबोधन के बाद किसान संगठनों ने खुलकर अपनी बात रखी है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी AIKSCC) ने पीएम मोदी को खुला खत लिखकर नए कृषि कानूनों एव पीएम मोदी के सवालों का जवाब दिया है।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि पिछले 6 महीनों से केंद्र सरकार के समक्ष कृषि Agriculture कानूनों को लेकर लिखित रूप से बातें रखी जाती रही हैं।
आरोप और उसके जवाब:
1. यह आंदोलन जून माह से ही एआईकेएससीसी के आह्नावन पर शुरू हुआ, तभी से जब आपने 5 जून को ये परिर्वतन अध्यादेश के रूप में अमल किये। इन्हे रद्द करने की मांग को लेकर पूरे देश में अनगिनत जनगोलबंदियां हुईं, जिन सभी में आपको व राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजे गए। सबसे बड़ी गोलबंदी पंजाब से शुरू हुई, जहां पर पंजाब सरकार ने इन गोलबंदियों का साफ-साफ विरोध किया और सैकड़ों केस आंदोलनकारियों के विरुद्ध दर्ज किये। जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ा और समाज के अलग-अलग तबकों का जन समर्थन आंदोलन को मिला, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने अपनी स्थिति बदली।
2.आपका दावा है कि इन कानूनों के बनने से पहले विभिन्न स्तरों पर विस्तार से चर्चा हुई है और सभी राजनीतिक दलों ने इन परिवर्तनों के पक्ष में मत अपनाया है।
इस बात पर आपको स्पष्ट होना चाहिए कि खेती राज्यों का विषय रहा है और मंडियों में परिवर्तनों के विभिन्न पहलू राज्यों में चर्चा का विषय रहे, कुछ राज्यों में कुछ परिवर्तन भी हुए। केन्द्रीय स्तर पर आप ऐसे कानून बनाकर पूरे देश पर थोप देंगे, यह झटका एकाएक आप ही ने 5 जून को देश को दिया। आपने कभी भी इन बिन्दुओं पर किसान संगठनों से कोई चर्चा नहीं की और संसद में भी विरोध की आवाजों को सुने बिना इन्हें पारित घोषित कर दिया।
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3.आपने यह भी दावा किया है कि विपक्षी दलों के घोषणा पत्रों में किसानों को विकल्प के रूप में बाजार से जोड़ने की सिफारिशें मौजूद हैं। हम नहीं जानते कि इसका क्या अर्थ है पर अगर इसका अर्थ है कि खेती के अन्दर बड़े कारपोरेट और विदेशी कम्पनियों को प्रवेश कराया जाए, मंडी व्यवस्था पर पूरा वर्चस्व जमाने और किसानों को ठेकों में बांधकर और अधिक कर्जदार बनाने का है तो किसानों का इससे कोई सरोकार नहीं है।
4.आप लगातार किसानों की मांगों को हल करने से बचने के लिए इसे विपक्षी दलों द्वारा प्रेरित , प्रोत्साहित व संगठित बता रहे हैं।
आप गौर करें कि किसी भी संघर्षरत किसान संगठन/समन्वय/मोर्चा की कोई भी मांग किसी भी दल से जुड़ी हुई नहीं है। मांग बहुत साफ है – पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने जो तीन कानून बनाए हैं और बिजली बिल 2020 प्रस्तुत किया है, किसान कह रहे हैं कि इन्हें रद्द किया जाए। आप इसे दलगत दिखा कर भटकाना चाहते हैं।
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