गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वाराणसी में दो लाख रोहू, कतला जैसी देसी मछलियां छोड़ी गईं
यूपी80 न्यूज, वाराणसी
“नदी की स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा Ganga में न प्रवाहित करें।“ आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर वाराणसी Varanasi के अस्सी घाट Assi Ghat पर आयोजित मत्स्य रैंचिंग, डाल्फिन एवं जल संरक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला Union Minister Purushottam Rupala ने यह बात कही। केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने प्लास्टिक से बनी वस्तुओं के प्रवाहित करने से न केवल गंगा प्रदूषित होती है, बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
मत्स्य विज्ञान के उप महानिदेशक डॉ.जेके जेना ने मछलियों के संरक्षण में सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी पर जोर दिया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने सभा को संबोधित किया। ‘नमामि गंगे’ परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने स्थानीय मछुआरों को गंगा नदी में प्राप्त मछलियों और डॉल्फिन के स्वास्थ्य और संरक्षण के पारिस्थितिक विषयों के बारे में जागरूक किया।
परियोजना के एक हिस्से के रूप में चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देसी गंगा कार्प (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को गंगा नदी में छोड़ा जा चुका हैं। इस कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को अस्सी घाट पर गंगा नदी में 2 लाख से अधिक (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को छोड़ा गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं। ये मछलियां नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करती हैं।