यूपी80 न्यूज़, बलिया/लखनऊ
“यदि कोई पुलिस का कॉलर पकड़ेगा तो कलेजा निकाल देंगे। कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह ने कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर के बयान पर पलटवार करते हुए यह बात कही है। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर पीले गमझे को लेकर पॉलिटिक्स छिड़ गई है।
योगी सरकार में मंत्री ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर के बयान को लेकर यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बिना नाम लिए करारा हमला बोला है। दयाशंकर सिंह ने कहा कि अब वो पुलिस नहीं है। योगी जी की पुलिस है। कोई कॉलर पकड़ेगा तो कलेजा निकाल देंगे। कयास लगाया जा रहा है कि सुहलदेव पार्टी की तरफ से इसका करारा जवाब आ सकता है।
मंत्री ओपी राजभर ने भी बेटे अरुण राजभर के बयान को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। ओपी राजभर ने बेटे के बयान को लेकर माफी मांगी है और मंत्री राजभर का कहना है कि अरुण राजभर को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना था। अपनी बात को रखने के और भी कई तरीके हैं।

भारतीय सुहेलदेव पार्टी के बांसडीह विधानसभा प्रभारी उमापति राजभर को एसडीएम के स्टेनो की गाड़ी ने टक्कर मार दी थी, इसके बाद विरोध किया तो स्टेनो ने पिटाई करते हुए बांसडीह दरोगा को बुलवाकर थाने में ले जाकर पिटाई कर दी। मंत्री ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर ने कहा था कि गमछे से जिसे दिक्कत है, जिनकी आंखें नहीं काम कर रही हैं तो भारतीय सुहेलदेव पार्टी के कार्यकर्ता आंख निकाल लेंगे। कार्यकर्ताओं के सम्मान में अगर आंच आई तो सरकार से भी लड़ेंगे। जरूरत पड़ी तो सरकार से अलग होने पर विचार किया जाएगा।उन्होंने कहा कि अगर कार्यकर्ताओं की पीटा जाएगा तो बांसडीह छोड़ दीजिए यूपी के किसी भी थाने में दारोगा बैठने लायक नहीं रहेंगे।
बता दे कि सुभासपा कार्यकर्ता उमापति राजभर की पिटाई मामले में उप निरीक्षक और सिपाही के अलावा एसडीएम के स्टेनो दीपक कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया है। प्रकरण में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर राजभर ने ऐलान किया था कि पुलिस वालों पर एक्शन के लिए सात मार्च को बांसडीह थाने के बाहर प्रदर्शन और घेराव का नेतृत्व करेंगे।
बता दें कि सुभासपा नेता उमापति राजभर ने मंगलवार को पुलिस को तहरीर देकर आरोप लगाया कि उसके पैर पर एसडीएम बांसडीह के स्टेनो ने गाड़ी चढ़ा दी। गाड़ी चढ़ाने को लेकर हुए बाद विवाद में मौके पर मौजूद लोगों द्वारा मामला शांत करा दिया गया था। बाद में कस्बे के चौकी इंचार्ज रंजीत विश्वकर्मा और उनके सहयोगी शैलेश वर्मा द्वारा उनको कोतवाली में ले जाकर बेरहमी से मारा पीटा गया। एसआई रंजीत विश्वकर्मा के खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंचे सुभासपा नेताओं ने दरोगा और सिपाही के खिलाफ कारवाई की मांग की थी। मामले में सुभासपा कार्यकर्ताओं ने थाने में जाकर दरोगा व एसडीएम के स्टेनो के खिलाफ तहरीर दी। जिसके बाद प्रकरण में राजनीति तेज होने के बाद पुलिस अधीक्षक ने सीओ बांसडीह को मामले की जांच के निर्देश दिये।

