स्थानीय लोगों की मदद से समाजसेवी ने पुल की मरम्मत का उठाया बीड़ा
संतोष कुमार निषाद, चोपन/सोनभद्र
जनपद के सदर विकास खण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत गुरमा मारकुण्डी के मध्य घाघर नदी पर कसहवा घाट का सम्पर्क मार्ग वर्षों से जर्जर हो चुका है। यह मार्ग आज भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। जिसकी वजह से हमारे नौनिहाल छोटे बच्चों सहित आम जनता को जान जोखिम में डालकर पुल पार करना पड़ता है।

कई दुर्घटनाएं इस पुल की जर्जरता के कारण घट चुकी हैं। कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है। लगभग 52वर्ष पूर्व इस पर लगाई गई लोहे की जालियां पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं और पत्थर के पिलर भी जगह जगह टूट कर गड्ढों में तब्दील हो गए हैं। प्रतिदिन सैकड़ों स्कूली बच्चे और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग तथा जिला कारागार में सर्विस करने वाले सिपाही, कर्मचारी व आम जनता भी इसी निकटतम रास्ते का सहारा लेती है, लेकिन आज तक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने इसके पुनर्निर्माण के लिए गंभीरता नहीं दिखायी।
समाजसेवी ने ली सुध:
पुल के पुनर्निर्माण के प्रति भले ही जनप्रतिनिधि और अधिकारी उदासीन हैं, लेकिन स्थानीय लोगों की पीड़ा को स्थानीय समाजसेवी उधम सिंह ने गंभीरता से समझा है। उन्होंने अपनी टीम एवं स्थानीय लोगों की मदद से जर्जर पुल पर पटिया रखवाकर आम लोगों के आवागमन को सुगम बनाने का सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन को भी आगे आना चाहिए और इसके पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए।