62 दलबदलूओें व 123 पिछड़ों को भी चुनाव मैदान में उतारा गया था
बलिराम सिंह, लखनऊ
भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सवर्ण के साथ-साथ पिछड़े और दलित मतदाताओं को भी साधने में सफल हुई थी। पार्टी ने सवर्णों के अलावा पिछड़ों को भी लगभग एक तिहाई सीटें दी थी। भाजपा ने 2017 में सर्वाधिक 68 सीटों पर ब्राह्मण चेहरों को टिकट दिया था। इसके अलावा 65 टिकट ठाकुरों को दिया था। पार्टी ने 402 में से 123 सीटों पर ओबीसी एवं 85 सुरक्षित सीटों पर दलित चेहरों को टिकट दिया था। भाजपा ने 62 दलबदलूओं को भी टिकट दिया था।

‘भारत कैसे हुआ मोदीमय’ नामक पुस्तक के मुताबिक भाजपा ने 2017 में 68 ब्राह्मण, 65 ठाकुर, 27 वैश्य, 6 पंजाबी, 5 कायस्थ, 5 भूमिहार, 2 त्यागी और 1 सिख को टिकट दिया था।
इसके अलावा पिछड़ी जाति से आने वाले 28 कुर्मी, 27 मौर्य-कुशवाहा-शाक्य-सैनी, 20 जाटव, 23 पासी-पासवान, 11 धोबी, 6 खटीक-सोनकर, 5 कोरी, 20 लोधी, 15 जाट, 8 यादव, 10 बिंद-निषाद-कश्यप, 7 गुर्जर, 2 पाल, 1 साहू-तेली, 2 चौहान, 1 खडगवंशी, 1 बढ़ई, 1 गोस्वामी, 1 विश्वकर्मा, 1 प्रजापति, 3 वाल्मीकि, 2 बेलदार, 1 बंजारा, 1 कठेरिया, 1 कबीर, 1 कौल, 1 अहिरवार, 1 अनुरागी, 1 गोंड, 1 बघेल शामिल थे।

62 दलबदलूओं को दिया गया टिकट:
भाजपा ने 62 दलबदलूओं को भी टिकट दिया, लेकिन इन्हें उन सीटों पर लड़ाया गया, जहां पार्टी कभी जीती नहीं थी। इसके लिए भी ऐसे नेताओं को चुना गया, जिनका सामाजिक आधार उसकी रणनीति के हिसाब से मुफीद था। इनके अलावा सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) को 11 व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 8 सीटें दी गई थीं।