सबसे खराब दौर से गुजर रहा है ओबीसी समाज, 1931 के बाद अब तक ओबीसी की संख्या का नहीं हुआ अध्ययन
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
लोक सेवा आयोग ने अपने भर्ती विज्ञापनों में लैटरल एंट्री की शुरुआत कर दी है। एक तरीके से आरक्षण की प्रक्रिया पर नया कुठाराघात है और इसका असर ओबीसी के साथ-साथ ST और ST के आरक्षण पर भी पड़ेगा। लेकिन देश में इस समय देश का अन्य पिछड़ा वर्ग सबसे वल्नरेबल पोजीशन पर चला गया है इसकी वजह है कि वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के अस्तित्व को शनैः-शनैः नकारना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया, वहीं 52 प्रतिशत आबादी (1931 की जनगणना के अनुसार) के लिए ना तो आरक्षण बढ़ाया गया और ना ही उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना की मांग को पुख्ता किया गया, जबकि ओबीसी आरक्षण के अंदर सब कटेग्राइजेशन (उप-वर्गीकरण) के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सन 2017 में जस्टिस रोहिणी कमेटी गठित की गई, जो केंद्रीय स्तर की नौकरियों में ओबीसी समुदाय के 2600 जातियों के हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की रूपरेखा तय करेगी और अनियमितताओं का अध्ययन करेगी। शुरुआत में इस कमेटी को 12 हफ्ते का समय दिया था, लेकिन अभी तक इसका 10 बार विस्तार किया जा जा चुका है।
इंडियन एक्सप्रेस के वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपने एक लेख में बताया कि ओबीसी कमीशन के लिये इस अध्ययन में सबसे बड़ी कठिनाई थी- डाटा का अभाव। ओबीसी कमीशन ने ओबीसी जातियों का ऑल इण्डिया सर्वे हेतु सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को बजट निर्धारण करने की सिफारिश भी की थी, लेकिन मार्च 2019 में जस्टिस रोहिणी ने सर्वे करने से मना कर दिया।
देश मे एक दशक से जाति- जनगणना की मांग लगातार उठ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता राजनारायण ने राष्ट्रीय स्तर पर जाति-जनगणना के लिये कई कार्यक्रम चलाये। 2018 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ये कहा था कि 2021 में जाति- जनगणना के साथ ओबीसी जातियों का आंकड़ा भी इकट्टा किया जायेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में ओबीसी के साथ किये गये वायदों से खुद को दरकिनार कर लिया है। यहां तक कि गृहमंत्री ने 2020 में ओबीसी कमीशन के साथ एक मीटिंग में कहा कि ओबीसी कटेगरी की जो सीट NFS (नॉट फाउंड सुईटेबल) के चलते खाली रह गई है उन्हें जनरल कटेगरी से भरा जायेगा, इसके लिये कमीशन को डाटा तैयार करने को कहा गया है।
वर्तमान में आंकड़ो के अनुसार केंद्रीय स्तर की नौकरियों में OBC की हिस्सदारी इस प्रकार है:
ग्रुप A- 16.51%
ग्रुप B – 13.38%
ग्रुप C- 21.25%
ग्रुप D- 17.72%
अर्थात संविधान सम्मत 27% आरक्षण अभी पूरा नहीं हुआ, और न ही 1931 की जनगणना के बाद अभी तक ओबीसी समूह की संख्या का कोई अध्ययन हुआ। साथ ही भर्तियों में लैटरल इंट्री भी शुरु कर दी है, जिससे अब ओबीसी आरक्षण के अस्तित्व पर प्रश्न भी लग गया है।
साभार: कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ अनूप पटेल के फेसबुक वॉल से