किसान संगठन farmers Union तेज करेंगे आंदोलन Movement ; टोल प्लाजा, रिलायंस के पेट्रोल पम्प पर होगा प्रदर्शन
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “मन की बात Mann Ki Baat” कार्यक्रम के दौरान खेती के तीन कानूनों की सराहना करने पर किसान संगठन भड़क गए हैं। किसान संगठनों ने कहा है कि प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ है कि केंद्र सरकार किसानों की समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। भड़के किसान संगठनों farmers union ने निकटवर्ती राज्यों के सभी किसानों से दिल्ली पहुंचने की अपील की है। साथ ही अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में व्यापक विरोध कार्यक्रमों की अपील की है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” के दौरान कहा है कि ये तीनों खेती के नए कानून किसानों की ही लंबी समय से चली आ रही मांग, आमदनी बढ़ाने के लिए, नए अधिकारों व नए अवसर देने को पूरा करते हैं। किसान नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी के इस बयान से उनकी उम्मीद पर पूरी तरह पानी फेर दिया है।

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा का कहना है कि ये कानून केवल कॉरपोरेट को आजादी, कारपोरेट को अवसर और कारपोरेट की आमदनी बढ़ाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के सभी 30 संगठनों, एआईकेएससीसी और अन्य संगठनों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बुराड़ी जाने की अपील को खारिज करके सही फैसला किया है। केंद्र सरकार किसानों में भ्रम पैदा करना चाहती है। एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप ने भारत सरकार से पुन: अपील की है कि इस समस्या को कानून व्यवस्था की समस्या के रूप में न देखें और इसमें गुप्तचर विभागों और गृहमंत्रालय को शामिल न करें।
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टोल प्लाजा, रिलायंस के पेट्रोल पम्प पर होगा प्रदर्शन:
किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को व्यापक दे रहे हैं। इस आंदोलन में शहरी लोगों को जोड़ते हुए टोल प्लाजा, रिलायंस के पेट्रोल पम्प, अडाणी के मॉल के समक्ष विरोध किया जा सके।

किसानों की मांग:
तीन नए कृषि कानून और बिजली बिल 2020 को रद्द किया जाए।
ये नहीं समझ रहे हैं:
एआईकेएससीसी का कहना है कि प्रधानमंत्री, उनके कैबिनेट मंत्री, उनके अधिकारी, उनके विशेषज्ञ और उनके सलाहकार किसानों की समस्या को नहीं समझ रहे हैं।
ठेका खेती से जमीन के मालिकाना हक पर हमला है। आमदनी पर हमला है, कर्ज बढ़ेंगे, सरकारी नियंत्रण समाप्त होकर बड़े प्रतिष्ठानों को विदेशी कंपनियों का खेती के उत्पादन तथा खाने के प्रसंस्करण, बाजार व बिक्री पर नियंत्रण स्थापित हो जाएगा। आत्महत्याएं बढ़ेंगी, खाने के दाम बढ़ेंगे और कालाबाजारी बढ़ेगी।
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