एनसीआरबी NCRB के मुताबिक भारत में रोजाना 89 दिहाड़ी मजदूर daily wage workers व 28 किसान farmers आत्महत्या Suicide करने को मजबूर
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
देश में रोजाना 89 दिहाड़ी मजदूर Daily wage worker एवं 28 किसान Farmers आत्महत्या कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। भारत में वर्ष 2019 में कुल 139123 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था। 2019 में सर्वाधिक 24 परसेंट दिहाड़ी मजदूर व 7.4 परसेंट किसानों ने आत्महत्या की। अर्थात कुल आत्महत्या का लगभग 31 परसेंट आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मजदूर Daily wage workers व किसान Farmers हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो NCRB की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 42480 किसानों व दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या Suicide की। इनमें 10281 किसान और 32559 दैनिक मजदूर शामिल हैं। 5957 किसान एवं 4324 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
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आत्महत्या करने वाले 66.2 परसेंट (92083) लोगों की रोजाना की आय 273 रुपए से कम थी।
आंकड़ा, एक नजर:
2019 में कुल आत्महत्या: 139123
2018 में कुल आत्महत्या: 134516
2019 में किसानों ने आत्महत्या की: 10281
2018 में किसानों ने आत्महत्या की: 10357
आत्महत्या करने वाले पुरुष किसान: 5563
आत्महत्या करने वाली महिला किसान:394
इन राज्यों ने किसान आत्महत्या की शून्य संख्या बताया:
बिहार, प.बंगाल, चंडीगढ़, पुड्डुचेरी, उड़ीसा, उत्तराखंड, मणिपुर, दमन-दीव, लक्षद्वीप, दिल्ली में किसानों व कृषि मजदूरों की आत्महत्या की शून्य संख्या बताई गई है।
आत्महत्या करने वाले पुरुष दिहाड़ी मजदूर: 29092
आत्महत्या करने वाली महिला दिहाड़ी मजदूर: 3467
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कौन हैं दिहाड़ी मजदूर:
आपके घर की रंगाई-पुताई, मकान का निर्माण, खेत-खलिहान में काम करने वाले, सफाई कर्मचारी, रिक्शा चालक, दर्जी, पशुपालक, बढ़ई, ठेली वाला, सब्जी बेचने वाले के तौर पर आपके आसपास ये दिहाड़ी मजदूर उपस्थित हैं। इनके बगैर आप जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते हैं।
दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या की घटनाएं:
2019 – 32559 – 24 परसेंट
2018 – 30124 – 22.4 परसेंट
2017 – 28737 – 22 परसेंट
2016 – 21902 – 19 परसेंट
2015 – 23779 – 17 परसेंट
आत्महत्या में सर्वाधिक वृद्धि:
बिहार- 44.7 परसेंट
पंजाब-37.5 परसेंट
दमन दीव- 31.4 परसेंट
झारखंड- 25 परसेंट
उत्तराखंड-22.6 परसेंट
आंध्र प्रदेश -21.5 परसेंट
क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
दिल्ली असंगठित निर्माण मजदूर यनियन के महासचिव अमजद हसन कहते हैं, “बेरोजगारी, गरीबी, हताशा, बीमारी, कार्य नहीं मिलना, कार्य का वेतन सही तरीके से समय पर नहीं मिलने की वजह से दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं।”
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि किसानों पर क्रेडिट कार्ड के जरिए लिए गए कर्ज का दबाव, बनिया से लिए गए कर्ज का दबाव रहता है। किसान जब फसल मार्केट में बेचने के लिए ले जाता है तो उसको फसल की वाजिब कीमत नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में उसे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। मजबूरन उसे आत्महत्या जैसे कदम उठाने पड़ते हैं।
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