गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में 1000 पाउंड का सहयोग किए बद्री अहीर Badri Ahir, बापू Bapu के साथ पहली बार जेल जाने वाले व्यक्ति थे बद्री अहीर
राजेश रमण, पटना
देश की आजादी में अनेक नायक ऐसे भी हुए, जिनके साथ इतिहासकारों ने नाइंसाफी की। इन नायकों में बद्री अहीर जैसे विशाल हृदय वाले गिरमिटिया मजदूर भी थें। बद्री अहीर Badri Ahir राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी Mahatma Gandhi के साथ जेल जाने वाले पहले भारतीय थे। बद्री अहीर को आप कई रूप में जान सकते हैं। गांधी जी के एक मित्र, गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में कर्ज देने वाला गिरमिटिया मजदूर अथवा गांधी जी के साथ पहली बार जेल जाने वाला महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी। भारत में गांधी जी द्वारा शुरू किए गए पहला ऐतिहासिक चम्पारन आंदोलन Champaran Movement को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में भी बद्री अहीर जी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
बद्री अहीर जी #बिहार के #हेतमपुर गांव के रहने वाले थे, जो शायद भोजपुर में पड़ता है। 20 वीं सदी के शुरू में वे अफ्रीका में गिरमिटिया मज़दूर से सफल कारोबारी बन चुके थे। महात्मा गांधी के साथ अफ्रीका में उन्होंने पहली गिरफ्तारी दी थी।
सन 1916 के शुरू में गांधी जी को अफ्रीका में निरामिषहारी गृह बनाने की ज़रूरत हुई तो बद्री जी अपनी पूरी नकदी लेकर पहुंच गए। ये और बात है कि गांधी जी ने उनमे से 1000 पाउंड ही लिये। उस वक़्त ये बहुत बड़ी रकम थी।
जुलाई 1917 में गांधी जी भारत मे चंपारण आंदोलन Champaran Movement चलाने आये तो स्वदेश प्रेम की वजह से बद्री अहीर अपनी नकद पूंजी के साथ भारत भी आ गए। उन्होंने आंदोलन को सफल बनाने में बहुत श्रम और धन खर्च किया। वे उनके साथ बेतिया भी गए।
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चम्पारण आंदोलन में बद्री अहीर की भूमिका को देख कर उस समय के अखबारों ने उनके बारे में खूब लिखा। खुद गांधी जी ने बद्री जी के बारे में अपने लेखों और संस्मरणों में जम कर तारीफ की। एक तरह से शुरू के दौर में बद्री जी ने गांधी के लिए वही काम किया जो भामाशाह ने प्रताप के लिए किया था।
गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में बद्री अहीर की कुछ इस तरह तारीफ की है-बद्री से मेरा बहुत परिचय हो गया था। उन्होंने सत्याग्रह में सबसे आगे रह कर हिस्सा लिया। वे मुझे ‘भाई’ कह कर पुकारते थे। दक्षिण अफ्रीका में अंत तक मेरा यही नाम रहा।
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