समवर्ती सूची में शामिल हो कृषि, किसान को फसल की लागत से 50 फीसदी ज्यादा मिले मूल्य
Swaminathan Commission recommendations for agricultural reform
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
किसानों की समस्याओं के निदान के लिए हरित क्रांति के जनक प्रो.एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में नवंबर 2004 में एक कमेटी का गठन किया गया। इसे राष्ट्रीय किसान आयोग के नाम से भी जाना जाता है। कमेटी ने अक्टूबर 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। माना जाता है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें स्वीकृत होने से किसानों की समस्याएं काफी हद तक दूर हो जाएंगी। स्वराज अभियान के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम कहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें ठीक ढंग से लागू हो जाए तो किसानों की समस्याएं काफी हद तक दूर हो जायेंगी। यह दुर्भाग्य की बात है कि आयोग की रिपोर्ट 14 साल बाद भी दफ्तरों में धूल फांक रही है।
पेश है स्वामीनाथन आयोग की प्रमुख सिफारिशें:
समवर्ती सूची में शामिल हो कृषि:
कृषि को समवर्ती सूची में शामिल किया जाए, ताकि केंद्र व राज्य दोनों किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए सार्थक कदम उठाए। फिलहाल कृषि राज्यों की सूची में है।
फसल की लागत से 50 फीसदी ज्यादा मिले मूल्य:
किसानों को फसल की लागत का 50 प्रतिशत ज्यादा मूल्य मिले। इस बाबत फसल की सही ढंग से लागत निर्धारित की जाए और इसमें किसान परिवारों की मजदूरी को भी शामिल किया जाए। कमेटी ने किसानों को बढ़िया गुणवत्ता का बीज कम से कम मूल्य पर मुहैया कराने की सिफारिश की।
गांवों में विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल स्थापित हो:
कमेटी ने सिफारिश की कि किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल स्थापित किया जाए।
महिला किसानों के लिए अलग से किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की जाए।
भूमि सुधार पर जोर:
कमेटी ने कहा कि अतिरक्त व बंजर जमीन को भूमिहीनों में बांट दिया जाए। कॉरपोरेट सेक्टर को कृषि योग्य भूमि न दी जाए। इस बाबत नेशनल लैंड यूज एडवाइजरी सर्विस का गठन किया जाए।
कृषि जोखिम फंड:
प्राकृतिक आपदा के दौरान किसानों को तत्काल मदद के लिए कृषि जोखिम फंड का गठन किया जाए।
कृषि के लिए कर्ज की व्यवस्था हो:
कमेटी ने छोटे और मध्यम किसानों के लिए खेती हेतु कर्ज की व्यवस्था करने की सिफारिश की। ताकि गरीब किसानों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
सस्ते दर पर कर्ज:
कमेटी ने सिफारिश की कि किसानों को सस्ते दर पर कर्ज मुहैया करायी जाए। यदि किसान कर्ज चुकाने में असमर्थ है तो जबरन वसूली न की जाए।