-वक्ताओं ने कहा लोकतंत्र की रक्षा के लिए जो भी करना होगा, करेंगे
-जमालपुर ब्लॉक के भभौरा गांव में जुटे पुराने समाजवादी दिगगज
-देश में सबसे कम उम्र (14 वर्ष) के मीसा बंदी सरदार सतनाम सिंह ने पुलिस प्रताड़ना की चर्चा करते हुए भावुक
यूपी80 न्यूज, जमालपुर/मिर्जापुर
‘तू जमाना बदल’ के नायक यदुनाथ सिंह की टीम ने गुरुवार को आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाया। इस बाबत जमालपुर ब्लॉक के भभौरा गांव में पुराने समाजवादी दिग्गजों की जुटान हुई। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल में सरकारी दमन को झेला। आगे भी जरूरत पड़ेगी तो इसके लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं।
यदुनाथ सिंह के जीवन पर आधारित पुस्तर ‘तू जमाना बदल’ के लेखक राजेश पटेल के आवास पर कार्यक्रम की शुरुआत यदुनाथ सिंह की फोटो पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि के साथ हुई। विषय प्रवेश राजेश पटेल ने कराया। इस कार्यक्रम में यदुनाथ सिंह के अभिन्न क्रांतिकारी साथी सरदार सतनाम सिंह ने आपातकाल के अपने अनुभवों को साझा किया। उनको करीब 14 साल की उम्र में ही पांच जुलाई 1975 को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को बाबतपुर एयरपोर्ट में काला झंडा दिखाने के लिए सिख धर्म की प्रमुख पहचान अपने केश को भी कटवा दिया था, ताकि कोई पहचान न सके। उनको इसमें सफलता भी मिली। सतनाम सिंह ने कहा कि पहले देश है, धर्म बाद में।
मुगलसराय से आए शमीम अहमद मिल्की ने कहा कि यदुनाथ सिंह के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया था। कुछ भूमिगत रहते हुए आपातकाल के खिलाफ जनजागरण में जुटे थे। हरवंश सिंह ने कहा कि आपातकाल के दौरान पुलिस ने उनको बहुत प्रताड़ित किया। इसके अलावा यदुनाथ सिंह के साथ पथकर माफी, शिक्षा शुल्क माफी सहित तमाम आंदोलनों में पुलिस की लाठियों से टूटे अपने शरीर के अंगों को दिखाते हुए कहा कि आज ये बहुत दर्द देते हैं, लेकिन जज्बा में जरा भी कमी नहीं आई है। आज भी लोकतंत्र पर आंच आई तो वे फिर से उसी तरह से विरोध करेंगे, जैसे युवावस्था व जवानी के दिनों मे किया करते थे।
पराग डेयरी रामनगर के पूर्व चेयरमैन नवल किशोर सिंह ने कहा कि यदुनाथ सिंह ने सम्मान दिलवाया। जुबान दी। और क्या चाहिए। यदुनाथ सिंह के पुराने साथी रामआसरे सिंह ने कहा कि इस टीम के किसी नेता पर बेईमानी का आरोप कभी लग ही नहीं सकता। ईमानदारी की घुट्टी यदुनाथ सिंह ने ही पिलाई। यही कारण है कि उनके जितने भी साथी हैं, सभी सामान्य आर्थिक स्थिति वाले हैं। स्टीमर अपहरण कांड के हीरो अब्दुल सत्तार ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के दिनों में भूमिगत रहते हुए आंदोलन को धार देने का काम किया करते थे। संचालन करते हुए बजरंगी सिंह कुशवाहा ने कहा कि यदुनाथ सिंह खुद में एक क्रांतिकारी संस्था थे। वे साहस के प्रतीक थे। कभी भी हार मानने को तैयार ही नहीं होते थे। उनको सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब उनके बताए रास्ते पर चलते हुए लोकतंत्र की रक्षा करते रहें। कार्यक्रम को बीएचयू के छात्र नेता रहे चौधरी राजेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में हाईकोर्ट अपहरण के दौरान जज की भूमिका निभाने वाले अति बुजुर्ग शोभनाथ पटेल, बनारस के एडवोकेट सतीश मेहरोत्रा, राम सिंह बागीश, यदुनाथ सिंह द्वारा आपातकाल के दौरान जेल से लिखे गए पत्रों को संजो कर रखने वाले उनके साथी दौतल राम सिंह, शिवधनी सिंह, जैसराम सिंह, पारस नाथ सिंह, शमीम अहमद देवलासी, यदुनाथ सिंह जी के सुपुत्र धनंजय सिंह पटेल, पत्रकार, महंथ सिंह, महेंद्रनाथ सिंह, अकील उद्दीन अहमद, अली जमीर खां, जैसराम सिंह, संकठा पटेल, दिलीप सिंह, जयनरायन तिवारी, मटुकलाल श्रीवास्तव, अकरम अली सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।