आत्मनिर्भर नहीं आत्महत्या को मजबूर होंगे किसान: चौ.राकेश टिकैत
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
“पंचों की बात सिर माथे, पर खूंटा वहीं गढ़ेगा।”
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज से निराश किसान नेता चौ.राकेश टिकैत ने यह बात कही है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.राकेश टिकैत ने पूछा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा किसानों के लिए घोषित आर्थिक पैकेज में कृषि ऋृण को तीन महीने के आगे बढ़ाने एवं नए किसान क्रेडिट कार्ड से लोन दिए जाने के अलावा नया क्या है? आज देश का किसान खुद को ठगा महसूस कर रहा है। किसानों के नुकसान की भरपाई व ऋण माफी हेतु भाकियू जल्द ही बड़े आंदोलन का आगाज करेगी।
चौ.राकेश टिकैत ने कहा है कि भारत एक गहरे आर्थिक संकट में फंसा है। यह आर्थिक संकट का जाल कोरोना से पूर्व का है। कोरोना संकट ने इस आग में घी का काम किया है।
किसानों की समस्या को समझने की जरूरत:
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान कृषि की विकास दर 2.7 पर सिमट चुकी है। इससे बाजार में मांग का भारी अभाव पैदा हो गया। देश में आम आदमी की क्रय शक्ति में भारी गिरावट आ चुकी थी।
इस समस्या से निपटने के लिए तमाम अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियन से लेकर किसान संगठनों ने मांग की थी कि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि, मनरेगा में 200 दिनों का काम और शहरी गरीबों के लिए भी मनरेगा जैसे स्कीम लाना, किसानों को उनकी उपज की लागत का डेढ़ गुना दाम और सरकारी खरीद की गारंटी, देश के हर किसान के लिए एक न्यूनतम आय की गारंटी स्कीम, किसानों के लिए सम्मान निधि की राशि बढ़ाकर 24000 सलाना, किसानों का सभी तरह के ऋण माफ करना, फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्रीफार्म, मधुमक्खी पालक, मछली उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई जैसे उपाय किए जाने की मांग की थी। लेकिन मोदी सरकार बड़े कारपोरेट घरानों पर देश का धन और संसाधन लुटाती रही है।
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बगैर वेतन घर वापसी कर रहा है मजदूर:
आज मार्च-अप्रैल के वेतन बिना ही भूख से लड़ते-मरते मजदूरों का बड़ा हिस्सा अपने गांवों की ओर लौट रहा है। अब बगैर आर्थिक सुरक्षा की गारंटी के उनकी जल्द वापसी संभव नहीं है। ऐसे में कई राज्यों में खेती प्रभावित होगी।
भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.राकेश टिकैत के अनुसार कोरोना संकट ने बाजार में मांग का और भी बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। जीवन के लिए बहुत जरूरी वस्तुओं को छोड़ बाकी उत्पादों की मांग तब तक नहीं बढ़ेगी, जब तक देश के 80 करोड़ मजदूरों-गरीबों-किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ जाती। किसानों को सरकार से बड़ी निराशा मिली है। सरकार की घोषणाओं से किसान आत्मनिर्भरता की बजाय आत्महत्या की ओर रुख करेगा।
आज देश का किसान खुद को ठगा महसूस कर रहा है। किसानों के नुकसान की भरपाई व ऋण माफी हेतु भाकियू जल्द ही बड़े आंदोलन का आगाज करेगी।