अनुप्रिया पटेल ने संसद में उठाया था मामला तो योगी सरकार ने दिया था आदेश; लेकिन अब इस आदेश को पलटने की तैयारी, आयोग की दलील-अदालत के आदेश का अनुपालन हो रहा है
लखनऊ, 9 फरवरी
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के संसद में जनरल से ज्यादा ओबीसी का कट-ऑफ होने के बावजूद सामान्य श्रेणी में शामिल न करने का मामला उठाए जाने के बाद योगी सरकार ने इस मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेश जारी किया था। लेकिन महज दो महीने में ही आयोग सरकार के आदेश के खिलाफ नया फरमान जारी करने जा रहा है। नए प्रावधान के तहत यदि आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी कोटा के तहत आवेदन करता है और उसका मार्क्स सामान्य से ज्यादा आता है तो उसे आरक्षित वर्ग में ही माना जाएगा और वह 50 परसेंट आरक्षण के ही दायरे में काउंट होगा।
आयोग का निर्णय:
यूपी लोक सेवा आयोग में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि किसी भी परीक्षा (प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, इंटरव्यू व स्क्रीनिंग) के किसी भी स्तर पर ओबीसी, अनुसूचित जाति-जनजाति, ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ लेने की स्थिति में संबंधित अभ्यर्थी को उसी की श्रेणी में चयनित किया जाएगा, भले ही अंतिम चयन परिणाम में उसका कट ऑफ अंक सामान्य वर्ग से ज्यादा हो। इस व्यवस्था को स्क्रीनिंग परीक्षा में भी शामिल किया जाएगा। अर्थात आयोग का यह निर्णय सीधी भर्ती पर भी पड़ेगा। हालांकि आयोग की दलील है कि यह फैसला उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन के तहत किया गया है।
अनुप्रिया पटेल ने लोक सभा में उठाया था मामला:
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने शीत कालीन सत्र के दौरान लोकसभा में सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थियों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा का मामला उठाया था। श्रीमती पटेल ने मांग की थी कि किसी भी परिस्थिति में यदि आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे कैंडिडेट को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाय। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।
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अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लगातार ख़बरें आ रही हैं कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज़्यादा है। ऐसे रिजल्ट का मतलब ये है कि अगर आप रिजर्व कटेगरी की हैं तो सेलेक्ट होने के लिए आपको जनरल कटेगरी के कट ऑफ से ज्यादा नंबर लाने होंगे।
अनुप्रिया पटेल ने यह भी कहा था कि ओबीसी की आबादी देश की आबादी का 52 फीसदी है। आर्थिक और सामाजिक रूप से अशक्त होने के कारण इस वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया।
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इस वर्ग को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए तय किया जाय कि किसी भी परिस्थिति में अगर आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे कैंडिडेट को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।
उधर, सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी आयोग के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि पिछड़ों, दलितों व आदिवासियों को मिले संविधान प्रदत अधिकारों पर कुठाराघात करने की सुनियोजित साजिश हो रही है।
सामाजिक चिंतक लखनऊ हाईकोर्ट के अधिवक्ता नंद किशोर पटेल इस फैसले को संविधान प्रदत अधिकारों का हनन बताते हुए चिंता व्यक्त करते हैं और कहते हैं कि इस तरह के कदम से समाज के शोषित वर्ग की स्थिति और अधिक खराब होगी।