निषाद, लोध या फिर यादव नेता पर बीजेपी खेल सकती है दाव
लखनऊ, 19 जनवरी
उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का नया चेयरमैन कौन होगा, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। अब सवाल यह है कि नया चेयरमैन ओबीसी की किस जाति का होगा। इसको लेकर मंथन जारी है।
हालांकि इस बार भी माना जा रहा है कि नया चेयरमैन अति पिछड़ी जाति से आ सकता है। हालांकि बदलते राजनीतिक समीकरण के साथ बीजेपी किसी यादव नेता पर भी दाव खेल सकती है। साथ ही क्षेत्रीय समीकरण के संतुलन पर भी जोर रहेगा।
ऐसा भी माना जा रहा है कि पार्टी किसी बिंद अथवा मल्लाह बिरादरी के नेता को आगे बढ़ा सकती है, क्योंकि इस समाज का फिलहाल कोई बड़ा चेहरा सरकार में नहीं दिख रहा है, जबकि यूपी में बीजेपी की सहयोगी के तौर पर निषाद पार्टी भी शामिल है और अब तक इस समाज के किसी को प्रमुख पद नहीं मिला। इसके अलावा किसी लोध समाज के नेता को भी आगे बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल योगी सरकार में एकमात्र राज्यमंत्री के तौर यादव समाज के एक विधायक को शामिल किया गया है। अत: यादव समाज में सेंध लगाने के लिए किसी यादव को भी यह प्रमुख जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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कुर्मि समाज के लिए फिलहाल नो वैकेंसी:
फिलहाल प्रदेश में यादवों के बाद सबसे मजबूत माने जाने वाली कुर्मि बिरादरी पर बीजेपी ज्यादा ध्यान देने के मूड में नहीं है। क्योंकि प्रदेश की राज्यपाल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इसी समाज से आते हैं। हालांकि प्रदेश में ब्राह्मणों व ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा इसी समाज के 32 विधायक (28 बीजेपी व 4 अपना दल एस) हैं, बावजूद उन्हें मात्र एक कैबिनेट मंत्री ही मिला है। इससे कुर्मि समाज अभी भी योगी सरकार से खुश नहीं है। आरक्षण में बरती जा रही अनियमितता को लेकर भी यादव और कुर्मि समाज ज्यादा मुखर है। ऐसे में यदि इस समाज की लाटरी निकल जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। विशेषतौर पर गोरखपुर व आजमगढ़ मंडल पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
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कोईरी, राजभर व चौहान समाज के कम चांस:
फिलहाल कोईरी समाज से प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व एक कैबिनेट मंत्री हैं। इसी तरह चौहान समाज से एक कैबिनेट मंत्री व एक राज्यपाल बनाए गए हैं। हालांकि अभी भी भाजपा के लिए सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर एक चुनौती बने हुए हैं। इनके समानांतर राजभर समाज में पैठ बढ़ाने के लिए भाजपा ने शकलदीप राजभर को राज्यसभा सांसद और अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया है। इसके अलावा घोसी लोकसभा सीट से हारने के बावजूद पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर को एक समिति में शामिल किया गया है। बावजूद इसके राजभर समाज से किसी नेता को चेयरमैन बना दिया जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
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सामाजिक न्याय के जानकार एडवोकेट अर्जुन सिंह पटेल कहते हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन एक बहुत ही सम्मानीय पद है। किसी ओबीसी की जाति को बैलेंस करने की बजाय कानून के एक अच्छे जानकार को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए, ताकि पिछड़ों की समस्याओं का त्वरित ढंग से निवारण हो सके। लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि यह एक संवैधानिक पद है। अत: यह जिम्मेदारी किसी पढ़े-लिखे और काननू के जानकार को देनी चाहिए, ताकि पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाले सभी जातियों के हकों की बात करे।