कुछ महीने पहले प्रदेश सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का लिया था निर्णय
लखनऊ, 1 नवंबर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के निर्णय को वापस लेने का फैसला किया है। प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियां निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, कहार, प्रजापति, मछुआरा, राजभर, मांझी, धीमर, गौड़, तुरहा जातियों को जून में योगी सरकार ने ओबीसी से अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया था।
लेकिन योगी सरकार के इस फैसले पर खुद मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री थावरचंद गहलोत ने आपत्ति जतायी थी। कुछ महीने पहले प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आपत्ति जतायी थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इन 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगी। अब ये जातियां ओबीसी वर्ग में ही रहेंगी।
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योगी सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए दलील दी थी कि ये जातियां सामाजिक एवं आर्थिक रूप से अत्यधिक पिछड़ी हैं। इनके लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र भी जारी करने का आदेश दिया गया था।
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बता दें कि योगी सरकार के इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी आपत्ति जतायी थी और कहा था कि योगी सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है। संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है। हालांकि हाईकोर्ट के अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि इन अति पिछड़ी जातियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए इन्हें अनुसूचित जाति में लाना प्रदेश सरकार का उचित कदम था। आजादी के समय ये जातियां अनुसूचित जाति में ही शामिल थीं।