2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सपा ने बदली रणनीति
लखनऊ, 30 नवंबर
खोया जनाधार फिर से पाने के लिए समाजवादी पार्टी बदलने लगी है। अब सपा को लौह पुरुष भी चाहिए और बाबा साहब भी। पार्टी ने इस साल सरदार पटेल जयंती मनाने के बाद अब संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस भी मनाने जा रही है।
2014 के लोकसभा, 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने 31 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में अखंड भारत के निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती धूमधाम से मनायी। और अब दलित समाज में पैठ बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी ने बाबा साहब परिनिर्वाण दिवस मनाने का फैसला किया है।
उधर, लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटने के बाद दलित समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बता दें कि पिछले कुछ महीनों में बसपा के कई नेता पार्टी छोड़कर सपा का दामन थाम लिए। बसपा से आए इन नेताओं ने सपा को दलितों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए ही आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस मनाने की सलाह दी है। इसके अलावा हाल ही में हुए उपचुनाव में भी सपा ने खुद को साबित कर दिया है कि भाजपा को टक्कर वही दे सकती है। उपचुनाव में सपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल कर ली। इनमें से एक भाजपा और एक सीट बसपा से छीनी है।