उत्कृष्ट कार्य के लिए स्वतंत्रता दिवस पर रतन यादव सिल्वर मेडल से सम्मानित हुए थे, कल सात पुलिस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई
लखनऊ, 8 नवंबर
भ्रष्टाचार व कार्य में लापरवाही का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के 7 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अनिवार्य तौर पर सेवानिवृत तो दे दी है, लेकिन योगी सरकार के इस निर्णय पर सवाल भी उठ रहे हैं। इन अधिकारियों में रतन यादव नाम के एक ऐसे अधिकारी शामिल हैं जिन्हें दो महीने पहले उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिस के सिल्वर मेडल से नवाजा गया।
योगी सरकार की दलील है कि इन सात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच में गंभीर मामले सामने आए हैं। सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर इन अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला लिया।
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अब योगी सरकार के फैसले पर सवाल पूछे जा रहे हैं कि यदि स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट सही है तो क्या स्वतंत्रता दिवस पर रतन यादव को पुलिस सिल्वर मेडल से सम्मानित करने का फैसला गलत था? और यदि स्वतंत्रता दिवस पर रतन यादव को सम्मानित करना उचित था तो क्या स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश गलत थी?
लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि यह एक गंभीर विषय है। सरकार को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। यदि रतन यादव को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया तो ऐसे में स्क्रीनिंग कमेटी ने जानबूझकर अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले एक अच्छे पुलिस अधिकारी को जबरन सेवानिवृत्ति दिला दी।
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भ्रष्टाचार में लिप्त इन पुलिस अधिकारियों को दी गई सेवानिवृत्ति:
1.अरुण कुमार – सहायक सेनानायक, 15वीं वाहिनी पीएसी, जनपद आगरा
2.विनोद कुमार राना – पुलिए उपाधीक्षक, फैजाबाद
3.नरेंद्र सिंह राना – पुलिए उपाधीक्षक, आगरा
4.रतन कुमार यादव – सहायक सेनानायक, 33वीं वाहिनी, पीएसी, झांसी
5.तेजवीर सिंह यादव – सहायक सेनानायक, 27वीं वाहिनी, पीएसी, सीतापुर
6.संतोष कुमार सिंह, मण्डालधिकारी, मुरादाबाद
7.तनवीर अहमद – सहायक सेनानायक, 30वीं वाहिनी पीएसी, गोंडा
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