लावारिस लाशों के वारिस शरीफ चाचा ने पूरी दुनिया में इंसानियत की मिसाल पेश की
अयोध्या, 26 जनवरी
आज से 60 साल पहले आई ऐतिहासिक फिल्म ‘धूल का फूल’ में एक गाना है ‘न तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा।’ फिल्म के इस गाने को अयोध्या के शरीफ चाचा ने जीवंत कर दिया है। पिछले 27 सालों से लावारिस शवों की पूरे रीति रिवाज से अंत्येष्टि करने वाले शरीफ चाचा पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित हुए हैं। गंगा-जमुनी तहजीब को बरकरार रखने वाले शरीफ चाचा को पद्मश्री अवार्ड से नवाजे जाने की घोषणा से अयोध्या सहित पूरा देश गौरवान्वित हो रहा है।
अयोध्या के खिड़की अली बेग मोहल्ले में रहने वाले मोहम्मद शरीफ चाचा इस राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चुने जाने पर काफी अभिभूत हैं। शरीफ चाचा कहते हैं कि मोदी सरकार ने उनकी सेवाओं को समझा है।
बेटे की लावारिस तरीके से अंत्येष्टि ने शरीफ चाचा को झकझोर दिया:
1993 में शरीफ चाचा का जवान बेटा मो. रईस दवा लाने सुल्तानपुर गया था। कहा जाता है कि उसकी हत्या करके शव को कहीं फेक दिया गया और बाद में पुलिस ने शव का लावारिस के तौर पर अंत्येष्टि कर दिया। हालांकि शव के शर्ट की कॉलर से एक महीने बाद पुलिस शरीफ चाचा के घर पहुंची और उन्हें जानकारी दी। इस घटना ने शरीफ चाचा को अंदर से झकझोर दिया। तत्पश्चात उन्होंने लावारिस शवों को ढूंढ-ढूंढकर उनका अंतिम संस्कार करने की शपथ ली।
27 सालों से कर रहे हैं सेवा:
शरीफ चाचा पिछले 27 सालों से लावारिस शवों की पूरे रीति रिवाज के साथ संस्कार कर रहे हैं। चाहे हिन्दू हो या मुसलमान या सिख अथवा ईसाई। हर शव को उन्होंने उसके संबंधित धर्म के अनुसार अंत्येष्टि करते हैं। शरीफ चाचा कहते हैं कि इस सेवा से उन्हें सुकून मिलता है। वह कहते हैं कि जब तक उनमें जान है, वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे।
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बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं आजमगढ़ निवासी घनश्याम पटेल कहते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की यही तो खासियत है। प्रधानमंत्री जी हर उस व्यक्ति का आदर करते हैं एवं उसे सम्मान देते हैं जो समाज व राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। शरीफ चाचा वास्तव में इंसानियत की मिसाल हैं।
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अयोध्या के साकेत महाविद्यालय के छात्र नेता रहे लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि शरीफ चाचा को पद्मश्री अवार्ड से नवाजे जाने की घोषणा से अयोध्या सहित पूरा अवध गौरवान्वित महसूस कर रहा है। एक साइकिल का पंचर बनाने वाला व्यक्ति इंसानियत के लिए इतना बड़ा नजीर पेश किया। आज के दौर में शरीफ चाचा की प्रासंगिकता और बढ़ गई है।