कहीं विधानसभा चुनाव नजदीक देखकर सारा ठीकरा नीतीश पर फोड़ने की रणनीति तो नहीं !
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
बिहार में सरकार एनडीए की है और इसकी अगुवाई कर रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। केंद्र में भी सरकार एनडीए की है और इसकी अगुवाई कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। एनडीए में बिहार की प्रमुख पार्टियां नीतीश कुमार की जनता दल (यू), बीजेपी और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी शामिल हैं। बावजूद इसके विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी के निशाने पर सीएम नीतीश कुमार हैं। पिछले एक महीने से लोजपा के नेता प्रवासी मजदूरों को लेकर नीतीश कुमार पर हमलावर है।
मौजूदा दौर में प्रवासी मजदूरों और राशन कार्ड को लेकर लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान, उनके पुत्र एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान व राम विलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज इन दिनों नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है और चुनाव को लेकर पासवान परिवार किसी तरह का रिस्क नहीं लेने के मूड में है। पासवान परिवार अपने मतदाताओं को संदेश देना चाहते हैं कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर वो तो चिंतित हैं, लेकिन नीतीश सरकार गंभीर नहीं है। लॉकडाउन से पहले बीजेपी नेता संजय पासवान भी इसी तरह नीतीश कुमार पर हमलावर थे। संजय पासवान की बार-बार की टिप्पणी से बिहार के राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया था। सत्ता पक्ष ही आपस में उलझ गया था।
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लोजपा नेताओं की टिप्पणी:
23 अप्रैल को लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोशल मीडिया के जरिए नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने तमाम प्रदेशों से बचे हुए लगभग 39 लाख राशन कार्ड धारकों की सूची जल्द भेजने को कहा है। जिसमें बड़ी संख्या लगभग 14.5 लाख बिहार प्रदेश के लाभार्थियों की है। केंद्र सरकार के निरंतर प्रयासों के बाद भी बिहार सरकार ने अभी तक सूची नहीं भेजी है। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने भी सोशल मीडिया के जरिए यही बात 1 मई को कही।
17 मई को लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज ने कहा कि समस्तीपुर व दरभंगा के छात्र व मजदूरों की घर वापसी के लिए 12 मई को मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया था, लेकिन लेकिन अभी तक अपेक्षित कार्यवाही नहीं हुई है।
अर्थात इन तीन ट्वीट से आप खुद समझ सकते हैं कि बिहार के किसी भी व्यक्ति के साथ कोई घटना होती है तो उसके लिए केवल नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।
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विशेषज्ञों की राय:
बिहार के सिवान जिला के रहने वाले पत्रकार एवं समाजसेवी राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि ये विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव की रणनीति है। लखनऊ उच्च न्यायालय के एडवोकेट एवं सामाजिक चिंतक नंद किशोर पटेल कहते हैं कि जदयू, बीजेपी और लोजपा सभी एनडीए के घटक हैं। लॉकडाउन के दौर में आरोप की बजाय एकजुट होकर प्रवासी मजदूरों सहित बिहारवासियों की समस्याओं का निदान करना चाहिए। नंद किशोर यह भी कहते हैं कि रामविलास पासवान की राजनीति किसी से छुपी नहीं है, वह आने वाले समय के अनुसार अपनी रणनीति बनाते हैं।
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