विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार, अनेक सामाजिक संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ खोल दिया था मोर्चा
यूपी80 न्यूज, प्रतापगढ़
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद अनुप्रिया पटेल के लगातार प्रयास की वजह से अंतत: प्रतापगढ़ के गोविंदपुर-परसठ गांव की घटना मामले में पुलिस ने पिछड़ा वर्ग के लोगों की तरफ से भी दबंगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। अब तक पुलिस की एक पक्षीय कार्यवाही से क्षेत्रवासियों में गहरी नाराजगी व्याप्त थी। पुलिस ने गुरुवार को दूसरे पक्ष के 62 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, इनमें से 12 नामजद एवं 50 लोग अज्ञात हैं।
बता दें कि 22 मई को गोविंदपुर-परसठ गांव में पुलिस की मौजूदगी में पिछड़ी जाति के लोगों को बुरी तरह से मारापीटा गया। उनके घरों व मवेशियों को जलाने के साथ ही उनके घरों में तोड़फोड़ व महिलाओं-बुजुर्गों पर भी दबंगों ने कहर बरपाया। इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति भी गहरी नाराजगी है। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के लगातार प्रयास से 26-27 मई को पीड़ितों का मेडिकल कराया गया। तत्पश्चात अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर पीड़ित पक्ष के लोगों की तरफ से भी एफआईआर दर्ज करने को कहा। आशीष पटेल ने कहा कि कोविड 19 महामारी के संकट के दौर में स्थानीय पुलिस द्वारा निष्पक्ष कार्यवाही न करने के कारण क्षेत्र के निवासियों में भय व्याप्त है। फलस्वरूप आगे भी वर्गीय संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, जिस भय के कारण इस घटना से प्रभावित क्षेत्र में जन जीवन सामान्य नहीं हो पा रहा है। आशीष पटेल ने मांग की थी कि इस मामले में परीक्षणोपरांत दूसरे पक्ष की भी प्राथमिकी दर्ज करने एवं सभी तथ्यों की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराने के लिए प्रतापगढ़ पुलिस को निर्देशित करने का कष्ट करें तथा किसी भी निर्दोष को सजा होने से बचाने का कष्ट करें।

विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार:
गोविंदपुर-परसठ मामले को लेकर योगी सरकार की काफी किरकिरी हुई है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल एस ने जहां दबंगों एवं दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लगातार दबाव बनाने की कोशिश की। पीड़ितों से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजा, उन्हें एक लाख रुपए की आर्थिक मदद की। तत्पश्चात प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अनुप्रिया पटेल ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए सीएम योगी को पत्र लिखा और उच्चस्तरीय मजिस्ट्रेट जांच की मांग की। वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार पर करारा प्रहार किया। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे और प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट के बाद इसे लेकर प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाया गया। ददुआ के भाई एवं पूर्व सांसद बालकुमार पटेल, भतीजा राम सिंह पटेल व भतीजा बीर सिंह पटेल ने भी गांव का दौरा किया। हार्दिक पटेल ने गुजरात से इस मामले में लगातार नजर रखे हुए थे। उन्होंने भी इस मामले में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सीएम योगी को पत्र लिखा। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग समाज से संबंधित अनेक सामाजिक संगठनों ने प्रदेश में पिछड़ों व दलितों का बढ़ रहे उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए योगी सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा किया। अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में डीएम के जरिए सीएम को ज्ञापन भेजा। बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल यू ने तो इस मामले पर नाराजगी जताते हुए यूपी में जंगलराज तक कह दिया।
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