अकबर व अवध के नवाब सआदत अली खां ने दिखायी थी उदारता
लखनऊ, 10 नवंबर
आस्था का केंद्र अयोध्या में राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए 21 मार्च 1528 से लेकर अब तक 76 युद्ध लड़े गए। कहा जाता है कि बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 21 मार्च 1528 को राम मंदिर को तोप से उड़ा दिया था। खास बात यह है कि शुरूआती दौर में यह लड़ाई रानी जयराज कुंवरी नामक एक महिला के नेतृत्व में लड़ी गई। इन युद्धों में रानी जयराज कुंवरी और महेशानंद शहीद हो गए।
ऐतिहासिक स्रोतों के मुताबिक शेरशाह सूरी और हुमायूं के शासनकाल में 1530 से 1556 के मध्य में 10 युद्ध लड़े गए। 1556 से 1605 के बीच अकबर के शासनकाल में राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए 20 युद्ध लड़े गए। बार-बार की लड़ाइयों की वजह से अकबर का भी इस ओर ध्यान गया और उसने बीरबल व टोडरमल की राय से बाबरी मस्जिद के सामने चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की इजाजत दी।
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हालांकि बाबर के वंशज औरंगजेब की कट्टरवादी नीतियों की वजह से उसके शासनकाल (1658 से 1707) में 30 बार युद्ध हुए। इन युद्धों का का नेतृत्व बाबा वैष्णदास, कुंवर गोपाल सिंह, ठाकुर जगदंबा सिंह इत्यादि ने किया।
गुरु गोविंद सिंह ने निहंगों को भेजा:
कहा जाता है कि औरंगजेब के शासनकाल में रामजन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए सिक्खों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने निहंगों को अयोध्या भेजा था।
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अवध के नवाब ने भी दिखायी उदारता:
कहा जाता है कि बार-बार की लड़ाइयों से तंग आकर अवध के नवाब सअदात अली खां ने मुगल बादशाह अकबर की भांति पूजा और नमाज की अनुमति दी। बावजूद इसके राम जन्मभूमि मुक्ति का संघर्ष नहीं थमा।